कच्ची उम्र का पहला प्यार
प्यार सबसे खूबसूरत एहसास है और पहले प्यार की तो बात ही कुछ और होती है। पहला प्यार जो अक्सर कच्ची उम्र में हो जाता है। यूं ही कोई बिना बात अच्छा लगने लगता है, पता ही नहीं चलता कि प्यार है या आकर्षण लेकिन जो भी हो यह एहसास उम्र भर याद रहता है।
दिल्ली का एक छोटा सा स्कूल था जिसमें सभी मिडिल क्लास फैमिली के बच्चे पढ़ते थे।
अनुराग! अनुराग 11th आर्ट्स का स्टूडेंट था। वह चेहरे से गंभीर दिखने वाला और हर चीज सोच समझकर करने वाला लड़का था। उसके पापा इंजीनियर थे। पढ़ाई लिखाई में वह औसत दर्जे का था लेकिन को-करिकुलर एक्टिविटीज में हमेशा आगे रहता था। उसके गालों के दोनों तरफ डिंपल पड़ते थे जो उसके व्यक्तित्व को चार चांद लगाते थे
अंशुल भी अनुराग से कम सुन्दर नहीं थी। अंशुल 9th में पढ़ती थी। दिखने में बहुत ही सुंदर थी। उसके लंबे बाल उसकी सुंदरता को दोगुना कर देते थे। वह बहुत ही चंचल स्वभाव की और जीवन के हर पल को जीने वाली लड़की थी। अनुराग और अंशुल एक दूसरे को नहीं जानते थे। जानते भी कैसे स्कूल में 2000 स्टूडेंट जो थे।
बात स्कूल के एनुअल फंक्शन की है जो दिसंबर में होना था पर उसकी तैयारी 1 महीने पहले से ही शुरू हो गई थी। फंक्शन में एक प्ले होना था ‘मिर्ज़ा और साहिबा’ इस प्ले की सारी की सारी जिम्मेवारी सीमा बत्रा मैडम जो कि 11th आर्ट्स की इंचार्ज थी उनको दी गई।
8th क्लास से ऊपर की क्लास के स्टूडेंट के ऑडिशन लिए गए। क्लास में अनुराग मैडम का फेवरेट स्टूडेंट था और वह कल्चरल एक्टिविटीज में एक्टिव भी रहता था तो मेन रोल उसी को मिलना तय था।
अब मिर्जा तो मिल गया था साहिबा को ढूंढना था बहुत सारी लड़कियों के ऑडिशन हुए और साहिबा के रोल के लिए अंशुल को सिलेक्ट कर लिया गया।
प्ले की प्रैक्टिस के पहले दिन जब अनुराग ने अंशुल को देखा तो देखता ही रह गया। पहली ही नजर में अनुराग को अंशुल से प्यार हो गया। वो बस प्ले की प्रैक्टिस का इंतजार करता रहता।